Faslon ko Takalluf Hai humse Agar Lyrics in Hindi by Qari Waheed Zafar Qasmi
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Faslon ko Takalluf Hai humse Agar Lyrics in Hindi |
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Faslon ko Takalluf Hai humse Agar Lyrics in Hindi
फासलों को तकल्लुफ है हमसे अगर ।
हम भी बेबस नहीं बेसहारा नहीं ।
खुद उन्हीं को पुकारेंगे हम दूर से ।
रास्ते में अगर पांव थक जाएंगे ।
हम मदीने में तनहा निकल जाएंगे ।
और गलियों में कसदन भटक जाएंगे ।
हम वहां जाकर वापस नहीं आएंगे ।
ढूंढते -ढूंढते लोग थक जाएंगे ।
फासलों को तकल्लुफ है हमसे अगर ।
हम भी बेबस नहीं बेसहारा नहीं ।
जैसे ही सब्ज गुंबद नजर आएगा ।
बंदगी का करीना बदल जाएगा ।
सर झुकाने की फुर्सत मिलेगी किसे ।
खुद ही पलकों से सजदे टपक जाएंगे ।
नामें आका जहां भी लिया जाएगा ।
जिक्र उनका जहां भी किया जाएगा ।
नूर ही नूर सीनों में भर जाएगा ।
सारे महफिल में जलवे लपक जाएंगे ।
फासलों को तकल्लुफ है हमसे अगर ।
हम भी बेबस नहीं बेसहारा नहीं ।
ऐ मदीने के जाहिर खुदा के लिए ।
दास्ताने सफर मुझको यूं मत सुना ।
बात बढ़ जाएगी दिल तरप जाएगा ।
मेरे मोहतात आंसू छलक जाएंगे ।
उनकी चश्मे करम को है इसकी खबर ।
किस मुसाफिर को कितना शौक -ए सफर ।
हमको इकबाल जब भी इजाजत मिली ।
हम भी आका के दरबार तक जाएंगे ।
फासलों को तकल्लुफ है हमसे अगर ।
हम भी बेबस नहीं बेसहारा नहीं ।
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